राष्‍ट्रीय

शहीदों से प्रेरणा नहीं लेंगे तो आजादी हो जाएगी ढलती सांझ – जयपाल आर्य

सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान):-

यदि हम शहीदों से प्रेरणा नहीं लेंगे तो यह आजादी ढलती हुई सांझ हो जाएगी, एक कवि की पंक्तियां को दोहराते हुए एसोसिएट प्रो. जयपाल आर्य ने कहा कि ये आजादी हमें यूं ही नहीं मिली थी, बल्कि इसके लिए जाने-अनजाने अनेकों शहीदों ने अपनी शहादत दी है। उन शहीदों में प्रमुख रूप से भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि का नाम लिया जा सकता है। शहीद भगतसिंह ने अपने आखिरी पत्र में दोस्तों को लिखा था, मैं खुशी से फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से बलिदान दे सकते हैं। वहीं सुखदेव को उसकी माता जी जब भी शादी के लिए कहती थी, तो सुखदेव का यही जवाब होता था, शादी के लिए घोड़ी पर चढऩे के बदले मैं फांसी पर ही चढूँगा। इनमें से क्रांतिकारी राजगुरु ने कसम खाई थी कि मैं सर्वप्रथम लाला लाजपत राय की हत्यारों को भुन डालूंगा और उन्होंने ऐसा किया भी।

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देश का वर्तमान एवं भविष्य युवा
युवाओं को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश का वर्तमान एवं भविष्य युवा वर्ग ही है इसलिए जहां भी अवसर मिले, युवाओं को सत्य निष्ठा से काम करना चाहिए। उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि भारत ने हमें क्या दिया, बल्कि यह सोचें कि हमने देश को क्या दिया है। युवा ही राष्ट्र की रीढ़ है। लाखों-लाखों शहीदों की बलिदान से पायी इस आजादी को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी उनकी है। आज बात की जाती है कि शहीदों की चिताओं पर हर बरस मेले लगेंगे, लेकिन राजनीतिक व्यवस्था ने इस तथ्य को इस कदर बिगाड़ दिया है जिससे कवि को कहना पड़ रहा है- आज उनकी समाधिओं पर एक भी दिया नहीं जिनके खून से जलते थे चिराग ए वतन। आज जगमगा रहे हैं हजारों दीपों से मकबरे उनके जो चुराते थे शहीदों के कफन।

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